बरखा रानी
बरखा रानी,बरखा रानी।
तू प्यासी धरती की प्यास बुझा।
तेरी आगवानी में नाचे मोर।
तेरी शीतलता से झूमे सब ओर।
हरियाली का जादू कर,
सूखे बागों में कर नवसंचार।
खेतिहारो में भरदे अरमान।
तपता सूरज जलती धरती पर
शीतलता की मीठी आस में
काले बादल के विश्वास में
हरित पट के परिधान में
अपने अमृत जल कण से
कर धरती का नव श्रृंगार।
तेरी कृपा के बिना टूटे जीवन की डोर।
तेरे उपकार पर सजता जीवन का दरबार।
तू दुनिया का सबसे बड़ा उपहार।
तेरे बिना दुनिया है बेकार।
ताल,तलैया,सागर, नदियां
जल से भरती, जल-धन वर्षा।
झरने गाते गीत, हरजन जीवन हर्षा।
अतिवृष्टि-अनावृष्टि से लुटती सृष्टि।
तेरे रूठ ने या रौद्र रूप से।
नही बचेगी जीवन समष्टि।
—डॉ. कान्ति लाल यादव