मेरी बहना है वो
फूलों सी महकती है वो।
तारों सी चमकती है वो।
चिड़िया सी चहकती है वो।
रूठे को मना लेती है वो।
रिश्ते को डोर में बांध देती है वो।
खुशियों से भाई का घर सजा देती है वो।
सुख-दु:ख में साथ निभाती है वो।
मां-बाप के संस्कार होती है वो।
परिवार का दुलार होती है वो।
भाइयों का वरदान होती है वो।
घर उपवन सा लगता है जब आती है वो।
सुख -दु:ख में साथ निभा जाती है वो।
सुने घर के दीये सी रौनक है वो।
चांद तारों सी खुशियां दे जाती है
चांद तारों से प्यारी, मेरी बहना है वो।
डॉ. कान्ति लाल यादव