लघुकथा

लघुकथा – कन्फर्म

गाँव मोहल्ले में चुनाव की चर्चा जोर शोर से चल रही थी।
“भाई !अबकी टिकट किस आधार पर मिलेंगे अवतार बाबू को?”
“सुना है पार्टी आलाकमान की खूब आवभगत की जा रही है, इधर से वो दिखाई भी तो नही दे रहे हैं।”
“भाई टिकट पाने के लिए ऐड़ी चोटी एक करनी पड़ती है,बस मिल जाए तो  फिर …”
“वे जिस कोटे से है ,उनके चमचे भी भारी मात्रा में है, सुगबुगाहट तो यही है अगले महीने चुनाव से पहले पूरे गाँव को भोज देने की बात कही है।”
“इतने खर्च यूँ ही थोड़े न किए जा रहे है।”
“वोट की संख्या देखकर तो लगता है कि कन्फर्म ही है।”
“भाई टिकट क्या चीज है जीत भी कन्फर्म  समझो।”
— सपना चन्द्रा

सपना चन्द्रा

जन्मतिथि--13 मार्च योग्यता--पर्यटन मे स्नातक रुचि--पठन-पाठन,लेखन पता-श्यामपुर रोड,कहलगाँव भागलपुर, बिहार - 813203