प्रकृति
हर बात का
जवाब है तुम्हारे पास,
सोचा क्यों न बतला दू
सोचा क्यों न बतला दू
तुम्हारे कुछ खास।
कुछ इंसान निर्दयी हो रहे है
कुछ इंसान निर्दयी हो रहे है
इसलिए तुम ना हो उदास,
तुम ना और कांटे जाओगे यह
तुम ना और कांटे जाओगे यह
आदेश है हर पथिक चलते दास।
तुमने जो ओढ़ा है काला
तुमने जो ओढ़ा है काला
साया उप्पर से लेकर पाँव,
छंट जायेंगे यह भी जब सबको
छंट जायेंगे यह भी जब सबको
विश्वास होगा तुम हो छाँव।
तुम अपनी गुणवत्ता
तुम अपनी गुणवत्ता
बतलाती हो अपने पत्तों से बने
विभिन्न औषधियो से,
तुम अपनी महत्ता ना
जतलाती हो अपने दिए हुए
विभिन्न फलो के फायदो से।
तुम हो हमारी श्वास कि वजह,
तुम बन गये हो हमारी जीने कि
तुम हो हमारी श्वास कि वजह,
तुम बन गये हो हमारी जीने कि
एक खूबसूरत वजह।
हो सके तो हम नादानो को
हो सके तो हम नादानो को
करना माफ जो चले थे करने
तुम्हें नज़रअंदाज़,
कोटि-कोटि नमन तुम्हें जो
कोटि-कोटि नमन तुम्हें जो
प्यार से समझाया तुम्हारा
नायाब अंदाज़।
— ईशानी मुखर्जी