कविता

रक्षाबंधन

राखी के रेशम धागों में ..
जज़्बातों मे गहरा वज़न टिका,
वह रिश्ता सबसे प्यारा  है..
जिस मे रक्षा का है वचन जुड़ा।
रक्षाबंधन पर्व हर वर्ष हो..
इस रीत से सबका ह्रदय जुड़ा,
भाई बहन का एक ही मन है..
अद्वितीय सूत्र की गाँठ बँधा।
कैसे भावनाएँ जन्म ले भीतर..?
कैसे उत्पन्न परवाह हो..?
चुपचाप जो बैठे बहन कही तो..
बेचैनी भाई के शब्दों मे हो,
दुआ के थाल दो नैना भरकर..
बहना माँगे भाई का सदा भला..
ईश्वर से विनती इतनी है..
पावन रिश्ता यह रहे खरा।
रंग सुनहरे धागों के..
चमक धमक सजावट हो..
मन भावन है नाम राखी का..
राखी का अर्थ रक्षा हो,
दूर पास.. हम कही रहे..
हुँ बहन! है सौभागय मेरा..
भाई हाथ जो सर पर रख दे..
स्पर्श छाप बन माथे सजे सदा
रक्षाबंधन पर हर बहना..
माँगे भाई का जीवन हो सुख से भरा..
ह्रदय कोश से.. नैनो से..
शब्दों से सौंपूँ आशीष सदा।

डिम्पल राकेश तिवारी

डिम्पल राकेश तिवारी

वरिष्ठ गीतकार कवयित्री अवध यूनिवर्सिटी चौराहा,अयोध्या-उत्तर प्रदेश