मेरी लिखनी यहां पढ़ेगा कौन
मेरी लिखनी यहां पढ़ेगा कौन?
शब्द मेरे गुमनामी में हैं
कलम पड़ी है मेरी मौन
मेरी लेखनी यहां पढ़ेगा कौन?
सारा जहान हैं ख़ुद में मौन
मेरा लिखा पढ़ेगा कौन
झूठ कहूं तो सब करते वाह वाह
सच पर हैं सबकी जुबां मौन
मेरी लेखनी यहां पढ़ेगा कौन?
किस रस में,मैं अपनी लेखनी डुबोऊं
मूक वेदना का गहन ताप,कैसे तुम्हें समझाऊं
मेरे अंतर्मन में उठते भाव ज्वार को समझेगा कौन
मेरी लेखनी के गूढ़ अर्थों को समझेगा कौन
मेरी लेखनी यहां पढ़ेगा कौन?
स्वाभिमान मेरा आकाश छू रहा
रूठों को मनाएं कौन
त्यौहार बीत जाएंगे घरों में
गली मोहल्ले को सजाएं कौन
कद्र नहीं यहां कलाकारों की
वाह वाही का तोहफ़ा देगा कौन
मेरी लेखनी यहां पढ़ेगा कौन?
जज्बातों की भाषा मेरी
अहससों की स्याही से लिखूं
लेकिन वो अल्फाज़ को पढ़ते
मन की बोली समझे कौन
मेरी लेखनी यहां पढ़ेगा कौन?
सविता जे राजपुरोहित