प्रभाष भाई
बिहार (मनिहारी) से विरार (मुम्बई) तक का सफ़र ! हिंदी फ़िल्मों में पहचान बनाने के सोद्देश्य हाईस्कूली मित्र श्री प्रभाष कवि; जो दो दशक पहले ही अच्छी और सच्ची कद-काठी लिए मनिहारी से अभिनेता गोविंदा के ‘विरार’ पहुँच गए हैं, फिर उनकी फ़िल्माई संघर्ष-गाथा शुरू ! कई फ़िल्मों के लिए प्रभाष जी ने गीत-लेखन कार्य किए हैं !
मराठी फिल्मों के लिए भी इसके प्रसंगश: कार्य किए हैं! मैंने उन्हें गीतकार के रूप में कई-कई बार यूट्यूब में देखा-सुना है। पुस्तक- पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद (शोध) और लव इन डार्विन (नाट्य पटकथा) उनके पास यानी मुम्बई (विरार) भी आखिर पहुँच ही गयी।
आशा है, उनके संघर्षों में शीघ्र ही विराम लगेंगे और वे स्थापित गीतकार के रूप में शीघ्र ही पहचाने जाएंगे और फिर से फ़िल्मी क्षेत्र के रूप में ‘मनिहारी’ देश-दुनिया के मानचित्र में आबद्ध होंगे, मेरी अशेष शुभकामना है! वहीं चाँदनी बार, पेज 3 जैसे- राष्ट्रीय पुरस्कृत हिंदी फ़िल्मों के निर्देशक ‘मधुर भंडारकर के जन्मदिवस पर हृदयश: शुभकामनाएं !