बालगीत- लहँगे का भाई:प्लाजो
पाजामे का नव अवतार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
नए रूप में बड़ा निराला।
रंग – बिरंगा नीला काला।।
नीचे – ऊपर सम आकार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
पहन रहे थे अब तक पापा।
मम्मी भी खो बैठीं आपा।।
छिड़ी एक दिन मीठी रार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
सट – सट टाँगें घुस जाती हैं।
पहन उसे वे इतराती हैं।।
पाजामे की करके हार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
अब न उन्हें साड़ी भी भाती।
प्लाजो पहन नहीं शरमाती।।
गज भर चौड़ा है आकार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
‘शुभम’ कहे लहँगे का भाई।
पहन रहीं अब नई लुगाई।।
होगी अब न टाँग- तकरार।
प्लाजो आया तज सलवार।।
-डॉ. भगवत स्वरूप’शुभम’