सामाजिक

स्वतंत्र बनो, स्वच्छंद नहीं

वृंदा खुद खुले खयालात वाली इक्कीसवीं सदी की माँ है, उसने अपने बच्चों को हर तरह की आज़ादी देते हुए बिंदास तौर तरीकों से पाल पोष कर बड़ा किया। किसी बात पर रोकटोक नहीं बच्चों को पूरी आज़ादी दी, पर भीतर से वृंदा कहीं न कहीं अपनी संस्कृति और कुछ उसूलों के साथ जुड़ी हुई थी तो आज जब अपनी बेटी ग्रेसी ने ये कहा की मोम मैं अक्षय के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहती हूँ, देखना चाहती हूँ हम दोनों के विचार और ज़िंदगी जीने के टेस्ट मिलते है की नहीं।
साथ में थोड़ा सेक्स वेक्स का अनुभव करते एन्जॉय भी हो जाएगा। उस पर पहले तो वृंदा को शोक लगा और बहुत गुस्सा भी आया ये सोचकर की आजकल की पीढ़ी स्वतंत्रता को किस नज़रिये से देख रहे है। रिश्ते क्या कोई चीज़ है जो पसंद आया तो ठीक है वरना आज़ाद। पर समझदारी दिखाते वृंदा ने ग्रेसी को पहले पास बिठाया फिर शांति से समझाते हुए कहा देखो बेटा रिश्ते बनाने बहुत आसान है पर निभाने बहुत कठिन।
और शारीरिक संबंध की एक गरिमा होती है, एक समय होता है। माना की सेक्स दो जवान लोगों की जरूरत होती है, पर ये सिर्फ़ एन्जॉय करने का साधन नहीं सेक्स प्रजनन की भी एक प्रक्रिया है ये मत भूलो सेक्स को हमारे देश में समाजिक व्यवस्था के तौर पर प्रस्थापित किया गया है। माना हर इंसान को अपनी ज़िंदगी अपनी पसंद और तौर तरीकों से जीने का हक है पर हम सामाजिक प्राणी है, हमारे समाज में शादी से पहले शारीरिक संबंधों को सही नजर से नहीं देखा जाता, समाज इस संबंध को स्वीकार नहीं करता।
जिसके परिणामस्वरूप तुम दोनों को ही कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा हम समाज में रहते इज्जतदार लोग है। स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में बहुत फ़र्क होता है, मैंने तुम्हें हर काम की स्वतंत्रता दी है जिसको तुमने गलत समझा। ज़िंदगी एन्जॉय करो पर परंपरा के दायरे में रहकर। सेक्स महज़ उन्माद शांत करने की क्रिया नहीं दो रूहों का मिलन है।
शादी से पहले सेक्स संबंध बनाना खतरनाक भी है क्योंकि उन्मादीत होते अगर आप कोई प्रिकोशन्स नहीं लेते तो इस दौरान गर्भ ठहरने की पूरी आशंका होती है। एक ओर जहां समाजिक तौर पर यह स्वीकार्य नहीं है, वहीं तुम दोनों भी ऐसी किसी स्थिति के लिए तैयार नहीं होते। ऐसे में यह स्थिति दोनों के लिए मुसीबत बन सकती है। कल को आगे जाकर जैसे तुमने कहा जमेगा नहीं तो आज़ाद ? पर फिर क्या ? सोचा है तुमने कौन करेगा ऐसी लड़की से शादी जो एक लड़के के साथ लिव इन में रही हो।
और फिर अक्षय को तुम जानती ही कितना हो, क्या पता उसके संबंध किसी ओर के साथ भी रहे हो ऐसे में एड्स जैसे संक्रमण का भी खतरा रहता है।और फिर सेक्स हो या चाहे कोई और चीज़ हर चीज़ का तुष्टिगुण होता है। शादी के बाद सुहागरात पर पहले मिलन का लड़का लड़की दोनों में रोमांच होता है, उत्सुकता और इंतज़ार होता है। जिसमें तुम लोगों को वो उन्माद और आनंद आएगा ही नहीं जो आनंद भूखे इंसान को खाने के पहले कौर में आता है वो तीसरे और पाँचवें कौर में नहीं आता वैसे ही तुम्हारे लिए सेक्स आम क्रिया बन जाएगी।
यदि आप शादी के बाद सेक्स करते है तो शादी के बाद आपके रिश्ते में सेक्स को लेकर बहुत अधिक उत्सुकता बनी रहेगी शादी के बाद सेक्स करने से रिश्ते में नयापन रहता है। माना एक दूसरे को शादी से पहले जानना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए आपको हर विषय पर बात करनी चाहिए, सामने वाले के विचारों को जानना चाहिए और किसी तरह का मतभेद होने पर विचार विमर्श कर हर बात का हल निकालना चाहिए जरूरी नहीं इसके लिए सेक्स को ज़रिया बनाया जाए।
हाँ अगर तुम दोनों अपने रिश्ते के बारे में स्योर हो, एक दूसरे पर भरोसा है और शादी का शिद्दत वाला कमिटमेन्ट है तो बेशक साथ रहो एक दूसरे को समझो पर सेक्स को परे रखकर। सेक्स का जो मजा परफेक्ट समय पर है उसे आम मत बनाओ ये समाज व्यवस्था के ख़िलाफ़ भी है और नाजायज़ भी। हम भारतीय चाहे खुद को कितना भी मार्डन मानें पर संस्कृति परंपरा और समाज व्यवस्था को मानते हुए ही चलना चाहिए। कहीं भी किसीके भी साथ शारीरिक संबंध बनाकर सेक्स को व्यभिचार बनाना नहीं चाहिए। साथ ही रहना है, सेक्स ही करना है तो रस्मों रिवाज़ के साथ बंधन में बंध कर बकायदा एन्जॉय करो, ताकि न तुम्हारे चरित्र पर कोई दाग लगे न रिश्ता भी खतरे में पड़े।
ग्रेसी ने अपना मोम की सारी बातों पर गौर किया तो लगा की मम्मा सही कह रही है मैं वक्त के साथ कदम मिलाते दो कदम आगे निकलने की सोच रही थी पर शायद एक हद में रहकर ज़िंदगी जीने ही मेरी आने वाली ज़िंदगी के लिए बेहतर है। ग्रेसी माँ के गले लगते बोली ok mom don’t worry मैं आपके बताए हुए रास्ते पर ही आगे बढूँगी। आपने सही कहा मैं स्वतंत्रता को कुछ ओर ही समझ रही थी। वृंदा को अपने दिए हुए संस्कारों पर गर्व हुआ की चलो समझाने पर बेटी ने मेरी बात को सहज रुप से स्वीकार किया।
— भावना ठाकर

*भावना ठाकर

बेंगलोर