बदलाव
खोता यहां कुछ भी नही
यहां केवल जिल्द बदलती पोथी
मैं अजर अमर अविनाशी
कैसा तू संताप करे
मैं कहां मरा
मैं जिंदा हूं
बस आ ठहर गया
इक देह से
दूजी देह में
समझ गया यह जिस दिन तू
संताप समझ तेरा
खत्म हुआ उस दिन
खोता यहां कुछ भी नही
यहां केवल जिल्द बदलती पोथी
मैं अजर अमर अविनाशी
कैसा तू संताप करे
मैं कहां मरा
मैं जिंदा हूं
बस आ ठहर गया
इक देह से
दूजी देह में
समझ गया यह जिस दिन तू
संताप समझ तेरा
खत्म हुआ उस दिन