गीतिका
मेरी बहन उम्मीद, विश्वास और प्यार की सरोकार है,
उसके बिना हर खुशी मेरे लिए तौफे की तरह उधार है।।
जिसके सर भाई का हाथ हो, परेशानी बने निराधार हैं,
लड़ना झगड़ना फिर से मनाना, इसी से घना प्यार हैं।।
बहन ने भाई की कलाई बांधा रेशम धागा संसार है,
भाई का तौफे पैसे आशीष से भाई रक्षा वादा दुलार है।।
बच्चों से घर-आँगन में मस्ती की झूमती बहार हैं
उनका लड़ना झगड़ना शिकायतो में खोया परिवार हैं।।
श्रावण की पूर्णिमा को रक्षा-बंधन स्नेह का त्योहार है
बहन चाहें बस प्यार. भाई पाये पुरे सपने हजार।।
— रेखा मोहन