सच्चाई को दबाना
शोर मचाने वाले अक्सर जग में
सच्चाई को दबा देना चाहता है
शोर गुल के भीड़ भाड़ में सदैव
सच्चाई को दफन कर जाता है
नक्कारखाने वाले याद रखना तुम
सच्चाई का पताका जरूर फहरेगा
शोर भले ही गली में मचा लो तुम
सच्चाई को कभी दबा ना पायेगा
कितना भी तुम भर लो झुठी उड़ान
सत्य धरा पर ही दिखाई दे जायेगा
सच्चाई से लाख मुँह मोड़ लो पर
विजयी माल सच्चाई के गले में आयेगा
सच्चाई वो खुशबू है जग में जिनको
कोई दबा छुपा ना पाया है अब तक
सीना तोड़ फौलाद बनकर वह
सागर से भी बाहर आया है
हर युग में कंलकित करते की चेष्टा
किया है सत्य को दुरजन तत्व ने
पर समय की पराकाष्ठा जब आई
सच्चाई का सर सिरमोर पहनाया है
सोना आग में तपकर भी कभी
अपनी प्रकृति नहीं भूला है
सच्चाई भी शूलों से डरकर भी
कभी सत्य पथ नहीं भूला है।
— उदय किशोर साह