एक राष्ट्र, एक ध्वज, एक चुनाव
माँ ने बनाई ‘पेड़े’
आकार छोटे हैं,
पर विशुद्धता लिए है।
माँ ने दिलचस्प बातें
शेयर की-
“ये पेड़े ‘पेड़’ से
नहीं तोड़े गए हैं…”
एक राष्ट्र,
एक ध्वज,
एक चुनाव
तो
एक भाषा क्यों नहीं ?
हिंदी राष्ट्रभाषा क्यों नहीं
एक राष्ट्र,
एक ध्वज,
एक चुनाव
तो
एक राजनीतिक दल क्यों नहीं ?
भीड़ नहीं;
योग्यता बने कसौटी
आज अपना
नरेंद्र की याद
आ ही गया।
भारत में सिर्फ
इक्के-दुक्के ही
पहचाने गए !