संकीर्ण रिश्ते
हम इतने
संकीर्ण होते जा रहे हैं
कि कब, क्यों,
कैसे पूछते ही
दोस्ती खत्म
होती जा रही है ?
रिश्ते दीये में
तेल की तरह होते हैं,
जो सीमित मात्रा में हैं !
इसलिए रिश्तों का ज्यादा
इस्तेमाल मत कीजिए !
संकीर्ण और दकियानूसी
विचारवाले यानी
जो किसी भी विचार पर
खुलकर बात नहीं करते हैं,
ऐसे मित्र या सहकर्मी से
दूर ही रहने चाहिए !
जब मैं कहीं एकांत में
सो रहा होता हूँ
और मृत्यु के
काफी निकट होता हूँ,
तब मैं सर्वाधिक सुखी
महसूस करता हूँ !