मन चंगा तो कठौती में गंगा
देश की सत्ता जब अहंकारी हो गया, तब देश गुलाम हो गया। तब महान स्वतंत्रता सेनानी लाल -बाल- पाल के बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को विघ्नहर्त्ता श्री गणेश की आराधना कर भारत को एक सूत्र में बाँधने हेतु व एकता में लाने हेतु जो पूज्य कार्यार्थ नींव रखे, कालांतर में राष्ट्रीय एकता के लिए समर्पित यह कार्य धार्मिक आस्था के प्रतीकार्थ हो गए ! वैसे भी श्री गणेश की पूजा-अर्चना सर्वप्रथम होती है।
‘पंडित’ से तात्पर्य ‘ब्राह्मण’ से नहीं है । ‘पंडित’ means ‘ज्ञाता’ से है । संस्कृत का श्लोक पढ़ लिये या गढ़ लिये, तो आप ‘पंडित’ हो गए, ऐसे थोड़े ही पंडित कहाता है और न ही यह प्रसंग उद्धरणीय है !
पंडित तो ‘जुलाहे’ कबीर थे, जिसने कहा था… ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ! पंडित तो मोची ‘रविदास’ व ‘रैदास’ थे, जिसने कहा था… मन चंगा, तो कठौती में गंगा ! ‘रामायण’ के रचयिता वाल्मीकि ‘डोम’ यानी शूद्र थे!
‘पंडित’ से तात्पर्य ‘ब्राह्मण’ से नहीं है ! ‘पंडित’ means ‘ज्ञाता’ से है और ज्ञाता सिर्फ़ ब्राह्मण नहीं होते ! संस्कृत का श्लोक पढ़ लिये या गढ़ लिये, तो आप ‘पंडित’ हो गए, ऐसे थोड़े ही पंडित कहाता है और न ही यह प्रसंग उद्धरणीय है ! पंडित तो ‘जुलाहे’ कबीर थे, जिसने कहा था… ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय !
जीवन-यात्रा में मुझे 99% दुःख व असफलता मिला है, सिर्फ़ 1% सुख व सफल होने के बिनाह पर ज़िन्दगी काट रहा हूँ ! हर चीज मन के अनुकूल नहीं हो सकती है, पर मन को उस चीज के लायक बनाया जा सकता है। पंडित तो मोची ‘रविदास’ व ‘रैदास’ थे, जिसने कहा था… मन चंगा, तो कठौती में गंगा !