हिंदी को उन्नत बनाना है
हिंदी दिवस मनाकर हम,
हिंदी की महिमा गाते हैं,
इसकी गौरव-गाथा गाकर,
खुद को धन्य बनाते हैं.
राष्ट्रभाषा रूप में इसको,
भारत ने अपनाया है,
इसके ही बल पर तो हमने,
आजादी को पाया है.
राजभाषा रूप में इसको,
कुछ राज्यों ने अपनाया है,
हरियाणा, दिल्ली आदि को,
हिंदी ने महकाया है.
मातृभाषा रूप में इसने.
माता जैसा प्यार दिया,
जब भी आई कठिनाई तो,
इसने बेड़ा पार किया.
देवनागरी लिपि है इसकी,
संस्कृत इसकी माता है,
समाहार प्रवृत्ति के कारण,
इसका विश्व से नाता है.
मीरा-सूर-कबीर-तुलसी ने,
इसका आश्रय पाया है,
पंत-प्रसाद-प्रेमचंद ने भी,
इसको ही अपनाया है.
सालों-साल गुलामी ने था,
अंग्रेजी को मान दिया,
अब हिंदी को गौरव देकर,
हमने इसको मान दिया.
इसकी उन्नति करके हमको,
जीवन सफल बनाना है,
हिंदी दिवस पर प्रण लेकर के,
हिंदी को उन्नत बनाना है.
12.9.1985
महात्मा गांधी ने ‘राजभाषा’ के निम्नलिखित लक्षण बताए थे-(१) प्रयोग करने वालों के लिए वह भाषा सरल होनी चाहिए।(२) उस भाषा के द्वारा भारतवर्ष का आपसी धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवहार हो सकना चाहिए।(३) यह जरूरी है कि भारतवर्ष के बहुत से लोग उस भाषा को बोलते हों।(४) राष्ट्र के लिए वह भाषा आसान होनी चाहिए।(५) उस भाषा का विचार करते समय किसी क्षणिक या अल्प स्थायी स्थिति पर जोर नहीं देना चाहिए।♻️ सम्पूर्ण भारत के सन्दर्भ में, इन लक्षणों पर हिन्दी भाषा बिल्कुल खरी उतरती है।
हिंदी दिवस की आप सबको हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं.