समुद्र मंथन
अमृत और विष
समुद्र-मंथन से
प्राप्त हुए थे !
इस अमृत को
सुख मान लीजिए,
विष को दुःख !
किन्तु अमृत
नर-नारी को
मिला नहीं आजतक !
इसे पाने के फेर में
ताउम्र व्यतीत कर देते हैं,
लेकिन मिलता नहीं !
यह दोनों चीज
‘भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी’ को
प्राप्त हुए थे,
ऐसी पौराणिक मान्यता है ।
‘अनंत’ चीजों में
यही दो चीज लोगों को
आजीवन दुनिया
घुमाए हुए हैं ।
अब आइये इधर
कि जिसे कोर्ट ने
सजा सुना दिया,
वो सज़ायाफ्ता मुज़रिम है,
वे कितने ही बड़े
शूरमा क्यों ना हो,
उसे ‘जी’ कहना
आदरसूचक शब्दों का
अपमान है !
मैं किसी भी
राजनीतिक दलों में नहीं हूँ!
क्योंकि ये दल नहीं,
दलदल है !
चूँकि मतदान
गुप्त होता है,
तो वोट भी
गुपचुप दे आता हूँ!
पहले न्यूटन के ‘सेब’ की
खूब चर्चा होती थी,
आजकल
एक केंद्रीय मंत्री के
‘सेब’ की खूब चर्चा है!
महँगे यानी 420 रु किलो
420 मन्ने 420 !
जिउतिया कल समाप्त हुई
और आज चौक पर
मछली खरीदने की भीड़;
मानो आस्थाधारिका
‘मछली’ को
ध्यानबद्ध कर
‘जिउतिया’ कर रही थी !
ऐसे अंधभक्त
‘लुक्कड़’ नेतवन द्वारा
फ़ेसबुक पर इतनी अशुद्ध
लिखी जाती है
कि मत पूछो !
रार भी तकरार भी !
चोरी भी, सीनाजोरी भी !
मैं ‘बाप’ का भी भक्त नहीं हूँ,
क्योंकि भक्ति का अर्थ
वृहद होता है,
संकीर्ण सोच लिए नहीं !
भगवान विष्णु के
वैसे आस्थाधारकों को
शर्म करनी चाहिए,
जो ‘मछली’ को
आहार बनाते हैं,
क्योंकि मछली तो
‘विष्णु’ के पहले अवतार हैं !