गीतिका/ग़ज़ल ग़ज़ल समीर द्विवेदी नितान्त 25/09/2021 तनहा गजल ।। आँखें सजल ।। दस्तूर से….. यूँ मत निकल ।। दुनिया नहीं… खुद को बदल ।। खुद से जरा… बाहर निकल ।। ए दोस्त मत… जाना बदल ।। क्या रूप है… खिलता कमल ।। तुम ही करो… कोई पहल ।। — समीर द्विवेदी नितान्त