गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

तनहा गजल ।।
आँखें सजल ।।
दस्तूर से…..
यूँ मत निकल ।।
दुनिया नहीं…
खुद को बदल ।।
खुद से जरा…
बाहर निकल ।।
ए दोस्त मत…
जाना बदल ।।
क्या रूप है…
खिलता कमल ।।
तुम ही करो…
कोई पहल ।।
— समीर द्विवेदी नितान्त

समीर द्विवेदी नितान्त

कन्नौज, उत्तर प्रदेश