क्षणिका

दो क्षणिकाएं

नाचो
नाचो कि रश्मियों का राग गाकर सूर्य नाच रहा है,
चंद्रमा अपनी शीतल किरणों से खुशी की कथा बांच रहा है,
धरती झूम रही है अपने बच्चों को नाचकर खुश होते देखकर,
पत्ता-पत्ता, डाली-डाली, तालियां बजाकर झूम-नाच रहा है.
— लीला तिवानी

नृत्य
जीवन एक नृत्य है जिसमें,
सूरज गाना गाता है,
चंदा तबला बजाता है,
लाखों तारे दर्शक होते हैं,
और पृथ्वी संगीत देती है.
— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244