क्षणिका

पौं बारह

चलो साथ मिलकर चलें,
एक और ग्यारह होते हैं,
ग्यारह में एक और मिल जाए,
सच मानो पौं बारह होते हैं.

 

शिक्षक
अपने हिस्से का हर अधिकार पाना सिखाने के लिए,
हौसला बढ़ाकर कुछ कर दिखाने के लिए,
जुगनू ही सही चमक कर रोशनी फैलाने के लिए,
ज्ञान की गंगा बनकर शिष्य को आनंद पाना सिखाने के लिए,
एक शिक्षक चाहिए, सच्चा शिक्षक चाहिए.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244