अमानत
विश्वास भी अमानत है
मत तोड़िए,
अमानत किसी की भी हो
जिम्मेदारी ली है तो
परिस्थिति कैसी भी हो
हरहाल में उसकी हिफाजत कीजिये।
आपके लिए किसी की अमानत
सस्ती और तुच्छ हो सकती है
उसके लिए उसकी जिंदगी की
पूंजी हो सकती है।
सामर्थ्य न हो तो मना कीजिये,
हिफाजत कर नहीं सकते तो
हाथ जोड़ लीजिए।
ज्यादा खैरख्वाह बनने का
ढ़ोंग मत कीजिए,
किसी को विश्वास देकर
उसके विश्वास का खून मत कीजिये।