गिर रही है निर्दोष की लाशें
लखीमपुर खीरी में क्या रखा है
जाना है तो जाओ काश्मीर
जहाँ गिर रही है निर्दोष की लाशें
अल्पसंख्यक की फूट गई है तकदीर
रोने का बहुत शौक है तो रो कर दिखा
जिन अल्पसंख्यक् के घर पर आई विपदा
आँसूं बहाने की झूठी राजनीति की
निकल रही है सच्चाई की तेरी हवा
वोट की राजनीति का खेल बहुत हुआ
राष्ट्रहित में उठाओ अब तुम सब आवाज
वोट बैंक की गलत जुगाड़ में अब तक
देश हो रहा है सब तरह से बरबाद
आतंकी हर दिन आते हैं कश्मीर में
कहाँ सोया है अय विपक्ष की दरबार
है हिम्मत तो राजनीति चमका लो
सरकार के साथ मिल कर लड़ो आप
दुश्मन आँखें दिखा रहा है कब से
क्यूँ नहीं निकल रही है तेरी आवाज
क्या डर लगता है आंतकी से
या देख रहे हो तमाशा तुम चुपचाप
वोट की राजनीति ने देश को है डुबाया
अब तक क्या समझ नहीं पाया है आप
देश तोड़ने की हो रही है राजनीति
क्या देश तोड़ना चाहते हो और आप
देश रहेगा तुम भी सकून से रहोगे
देश टुटेगा तो टुट जाओगे सब आज
कौन देगा तुम्हें सत्ता की ये कुर्सी
किस से मांगोगे वोट कल आप
खोपड़ी का अब दरवाजा खोलो
हकीकत से मत करना तुँ इन्कार
विपक्ष बना है तो कर्तव्य निभाओ
काश्मीर में जाओ तो एक बार
— उदय किशोर साह