दो बाल काव्यमय कथाएं
1. कर भला तो हो भला
एक गुलाम भागकर पहुंचा,
एक घने जंगल में,
कोई शेर कराह रहा था,
जाने क्या था पग में!
पैर उठा देखा गुलाम ने,
कांटा एक गड़ा था,
खून बह रह टप-टप-टप-टप,
उसको दर्द बड़ा था.
बड़े प्रेम से उस गुलाम ने,
कांटा निकाला शेर का,
‘धन्यवाद’ कह शेर चल दिया,
छुपा गुलाम वहीं था.
राजा ने गुलाम ढुंढवाकर,
डाला उसी शेर के आगे,
शेर लगा तब उसे चूमने,
भाग गुलाम के जागे.
2. कछुआ और खरगोश
एक दिवस खरगोश महाशय,
बोले कछुए राम से,
”बड़े सुस्त तुम कछुए भाई,
डरते दौड़ लगाने से.
कछुआ बोला, ”डरना कैसा!
आओ दौड़ लगाएं.”
इतना कहकर लगे दौड़ने,
तककर दाएं-बाएं.
पहले तेज़ दौड़कर सोया,
मस्ती से खरगोश,
धीरे चलकर कछुए जी ने,
रखा बनाए अपना जोश.
नींद खुली खरगोश की जैसे,
लगा दौड़ने भर-भर,
कछुआ पहले पहुंच गया था,
धीरे-धीरे चलकर.