कविता

पापा

वह शब्द जो हमें दुनिया में
लाता है वह दुआ जो हमें
हर खुशी दिलाता है
दुनिया की हर खुशी हमारी
झोली में डालने वाले
हमारी हर समस्या में हमारे
सामने खड़े होने वाले
निस्वार्थ प्रेम की है यह परिभाषा
भावनाओं के सागर को
अपने अंदर छिपाकर
परियों की है गीत सुनाते
बैठाकर कंधे पर हमें घुमाते
रुपया पैसा सब बच्चों पर लुटाते
तकलीफ हमें होती और वह
रो देते हां पापा सफलता हमें
मिलती तो खुशी वे मनाते
उंगली पकड़कर हमको वे
चलना सिखाते
खून पसीना अपना भागकर
हमको पढ़ाया लिखाया
जब माना होती घर पर तो
उनकी कमी ना होने देते
अनुशासन में रखकर
भी सभ्य बनाया
हमारी हर ख्वाहिश को
लक्ष्य अपना बनाया
पापा के दिल का टुकड़ा हैं
पापा के नैनो के तारे हैं
पापा तो हमारे सबसे प्यारे हैं
कभी घोड़ा बनते तो कभी
भालू जिद्द बच्चों के
सब पूरी करते
सखती होती पर दिल में
प्यार का सागर उमड़ता
जीवन में सफलता का
मार्ग दिखाते हैं
हमारी हर गलती को वे
सुधारते कभी बन जाते
सुपर हीरो तो कभी मां के
नाम से हमें बचाते
पापा की नाराजगी में भी है प्यार
पापा के जीवन का हम हैं उपहार
हमारी पहचान पापा से होती
पापा न होते तो यह जहां न होते
खुद भूखे रहकर वह
भोजन हमको देते
क्या लिखूं पापा के बारे में वह तो
आंखों में आंसू तक नहीं आने देते
प्यार उनका है सबसे प्यारा
प्यार में का है सबसे निराला।
— डॉ. जानकी झा

डॉ. जानकी झा

वरिष्ठ कवयित्री व शिक्षिका, स्वतंत्र लेखिका व स्तम्भकार,कटक-ओडिसा, 94384 77979