आओ हम सब एक हों आपस में न कोई मतभेद हो रंग,रूप, जाति भिन्न होने पर भी विश्व मैत्री का साकार रूप हो। हिंसा, द्वैष से दूर रहें हम भाईचारे का भाव हो नई सोच ,नए विचार और शांति का प्रसार हो। वसुधैव कुटुंबकम् ‘ का नारा हो हर त्योहार में साथ हमारा हो दीवाली, […]
Author: डॉ. जानकी झा
पापा
वह शब्द जो हमें दुनिया में लाता है वह दुआ जो हमें हर खुशी दिलाता है दुनिया की हर खुशी हमारी झोली में डालने वाले हमारी हर समस्या में हमारे सामने खड़े होने वाले निस्वार्थ प्रेम की है यह परिभाषा भावनाओं के सागर को अपने अंदर छिपाकर परियों की है गीत सुनाते बैठाकर कंधे पर […]
पुरुषोत्तम धाम
शीर्षक – पुरुषोत्तम धाम चलो पुरुषोत्तम धाम चले किए जो अच्छे काम चले जहां बैठे सबके नाथ हैं बैकुंठ का यह धाम है चरणों में उनके सब अर्पण करने चले हम तो जगन्नाथ के पास चले। अरुण स्तंभ पर माथा टेका बाइस सीढ़ी देकर पहुंचे देखो कितना प्रफुल्लित मन है उनके आश्रय में हम हैं […]
शक्ति का रूप नारी
ठोकर खाकर चलते चलते गिरते और संभलते चुपकी भी जैसे शोर करती सन्नाटे को चीरती हुए अपने लिए आवाज उठाती नारी नहीं कमजोर कभी अपना जीवन खुद संवारती जख्मों को भी मरहम लगाती भटके हुए को राह दिखाती आंसू पर मेरे तुम मत जाओ इसी को तुम अपना हथियार बनाओ नारी कभी भी ना अबला […]