करवा चौथ
करवा चौथ पर कर रही पूजा ,
अपने चांद के वास्ते
चांद की तुम।
हर जन्म में साथ निभाना,
चंदे को बतलाना तुम।
ऐसे ख्यालों में सदा बस जाना,
जैसे चंदा की चकोरी तुम।
मेरी बन कर आई हो तुम,
हर जन्म मेरी रहना तुम।
पथ में अनगिनत शूल हो पर
उन्हें फुल समझ लेना तुम।
तन्हाइयों की घड़ियों में भी,
साथी साथ बन जाना तुम।
सदा प्रीत कुमुदिनी सी रखना,
जैसे चंदे को देख खिल जाना तुम।
रात घनी पर मत डरना,
चांदनी को बुला लेना तुम।
श्याम की राधा सी बनो ना बनो पर,
श्याम की मुरलिया सी बन जाना तुम ।
अधरों से प्रेम गीत गा न सको तो
प्रेम का दीप उर में जला देना तुम।
जीवन-विकट फंसे संकट में तो
अटल विश्वास के फूल खिला देना तुम।
विश्वास की अमर बेल पर सदा,
द्रुतगति से बढ़ती जाना तुम।
घोर संकट,उत्तंग शिखर पर,
हंसते-हंसते चढ़ जाना तुम।
गृहस्थ तपोवन, सुख-दु:ख के रथ पर,
मुस्कुराते हुए बढ़ जाना तुम।
धैर्य-धरना विवेक- रखना,
क्षमा के आंसू पी जाना तुम।
सौम्या की शीतल छांव में,
प्रेम की खुशबू फैला देना तुम।
— डॉ.कान्ति लाल यादव