सूखे आंसू
सूखे आंसू
न जाने क्यों नही आते आंसू
क्या खु़शी का अह्सास
और दु:ख का उपहास
आज हो गया कम है
इसलिये सुख गये हैं आंसू
न जाने क्यों नही आते हैं आंसू
भौतिकता की दौड़ है
या अकेलेपन का मोड़ है
सिमट गया है अंतर्मन
जिसमें खो दिये है आंसू
न जाने क्यों नही आते हैं आंसू
रिश्तों की ये डोर है टूटी
पुरानी बातें लगती हैं झूठी
धनमद में है सबकुछ भूला
जिसने मिटा दिये हैं आंसू
न जाने क्यों नही आते हैं आंसू
मातपिता के प्यार को भूले
बहनों के नही रह गये हैं झूले
अनिल का यह फेर देखिये
जिसने सूखा दिये हैं आंसू
न जाने क्यों नही आते हैं आंसू