राजनीति

भारत की ऐतिहासिक सफलता व गर्व का क्षण – सौ करोड़ टीकाकरण

21 अक्टूबर 2021 का दिन भारतीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक अप्रतिम सफलता के दिन के रूप में याद किया जायेगा क्योंकि इस दिन भारत ने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई के दौर में विभिन्न समस्याओं के बीच बेहद अनुशासित व वीआईपी संस्कृति को किनारे करते हुए सौ करोड़ टीके लगवाने का लक्ष्य समय से पहले ही प्राप्त कर लिया है। भारत जैसे विशाल देश के लिए यह उपलब्धि छोटी नहीं है। आज पूरी दुनिया में भारत के वैक्सीनेशन अभियान की प्रशंसा हो रही है और विपक्ष को कुछ समझ में नहीे आ रहा है कि इस समय सरकार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किस प्रकार से नीचा दिखाया जाये व उनकी छवि को खराब किया जाये, जिस प्रकार से वह कोरोना काल में लगातार अभियान चलाता रहा। भारत की अप्रतिम सफलता से विपक्ष चारों खाने चित हो चुका है। अब वह जो भी बात कह रहा है उसका कोई असर जनमानस के बीच में नहीं पड़ रहा, क्योंकि अब तो टीकाकरण का संकल्प सौ करोड़ का लक्ष्य पूरा हो ही चुका है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक सभी छोटे बच्चों तक नहीं पहुंच पाती।
कोरोना वैक्सीनेशन का लक्ष्य सौ करोड़ होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर देश को संबाेिधत करते हुए सकारात्मक संदेश दिया और कहा कि जब तक युद्ध चल रहा है तब तक हमें अपने हथियार नहीं डालने हैं अर्थात हमें मास्क पहने की आदत डालनी होगी और पूरी सतर्कता व सावधानी के साथ ही आने वाले सभी पर्वों को मनाना होगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देशवासियों से एक बार फिर लोकल फार वोकल का सन्देश देते हुए कहा कि इस बार दीपावली पर हम सभी छोटे दुकानदारों से स्वदेश में ही बने उत्पादों को खरीदें। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन से कोरोना काल में अफवाहें उड़ाने वालों, भ्रम पैदा करने की राजनीति करने वाले सभी दलों व नेताओ को निरुत्तर कर दिया है।
यह बात सही है कि भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में इतनी तेज गति से व अनुशासित ढंग से टीका लगना कोई आसान बात नहीं थी, लेकिन यह प्रधानमंत्री का नेतृत्व और देशवासियों का संकल्प ही था जिसके कारण आज भारत टीकाकरण के क्षेत्र में विश्वगुरू बन चुका है। टीकाकरण की सफलता के चलते आज देश में सकारात्मकता की बयार बह रही है। अब भारत की अर्थव्यवस्था व पर्यटन में एक बार फिर सकारात्मक बदलाव की आहट दिख रही है।
विरोधी दलों ने टीकाकरण अभियान को फेल करने के लिए हरसंभव प्रयास किये और तरह- तरह की अफवाहें उनकी ओर से उडायी गयीं। टीकाकरण अभियान को धार्मिक रंग भी दिये गये। यह भारत की जनता ही थी जिसके कारण यह अभियान अब सफलता की ओर अग्रसर हैं और इस अभियान की सफलता के साथ ही विपक्ष के सपने भी चूर हो रहे हैं। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत ने अपनी क्षमता को साबित कर दिखाया है। स्वास्थ्यकर्मियों ने अफवाहों, भ्रम व डर के बीच ग्रामीण व दुर्गम क्षेत्रों में जाकर सरकार की सोच को बदल डाला। धर्म, भाषा, गांव के बुजुर्ग और एनजीओ का सहारा लेकर ग्रामीण जनता का भरोसा जीता। याद करिये वह क्षण जब टीके लगवाने के लिए स्वास्थ्यकर्मी गांवों में जाते थे तब ग्रामीण उन्हें देखकर भाग खड़े होते थे, कई जगह लोग टीके से बचने के लिए नदी व तालाबों में कूद गये थे। कई जगह स्वास्थ्यकर्मियों की टीमों पर हमले भी किये गये थे, फिर भी भारत डिगा नहीं। राजनैतिक दलों के नेताओं ने भी खूब अफवाहें फैलायीं, किसी ने कहा जो टीका लगाया जा रहा है उसमें गाय और सुअर की चर्बी मिली हुई है। किसी ने कहा कि यह विदेशी वैक्सीन है जिसमें भारत सरकार केवल अपना नाम लगाकर लगवा रही है, तरह तरह से अफवाहें फैलायी गयी, किसी ने कहा यह बीजेपी की वैक्सीन है हम यह नहीं लगवायेंगे। आज उन सभी को जवाब मिल चुका है। टीकाकरण अभियान के दौरान यह भी कहा गया कि वैक्सीनेशन के दो तीन माह बाद सभी लोग मर जायेंगें।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित तमाम नेता रोज ट्विटर पर अपनी चिड़िया उड़ाते रहते थे जुलाई आ गयी, अभी तक वैक्सीन नहीं आयी। अब राहुल गांधी सरीखे नेता के पास कोई जवाब नहीं है। समाजवादी पार्टी के नेताओं को टीवी चैनलों की बहस के दौरान रोना आ रहा है कि भारत ने इतनी बड़ी सफलता कैसे अर्जित कर ली है।
कोविड महामारी के दौरान जब प्रधानमंत्री ने देश की जनता से ताली-थाली बजाने और दीये जलाने का आह्वान किया था तब भी सेकुलर दलों के नेताओं ने कहा था कि ऐसा करने से क्या बीमारी दूर हो जायेगी। आज उन सभी सेकुलर कांग्रेसी वामपंथी गैंग को जवाब मिल चुका है और उनका भ्रम भी दूर हो चुका है। अब विपक्ष की बातों का कोई आधार नहीं रह गया है और वह पूरी तरह से तर्कहीन, तथ्यहीन हो चुका है। जहां आज देश में सकारात्मक वातावरण है, वहीं विपक्ष में निराशावादी माहौल बन चुका है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि 100 करोड़ वैक्सीन डोज का एक प्रभाव यह भी होगा कि अब दुनिया भारत को कोरोना से अधिक सुरक्षित मानेगी। एक फार्मा हब के रूप में भारत को जो स्वीकृति मिली है उसे और मजबूती मिलेगी। पूरा विश्व आज भारत की इस ताकत को देख रहा है और महसूस कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी के समय जो भी सवाल उठे थे, देश ने उनके जवाब दे दिये हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने बीस मिनट के संबोधन में दस बड़ी बातें कहीं। भांति-भांति के सवालों के बीच 100 करोड़ वैक्सीन डोज सबके जवाब दे रहा है। भारत ने यह डोज लगाई है और वह भी मुफ्त। याद करें गरीबों को मुफ्त वैक्सीनेशन पर खूब राजनीति हुई थी। यह बिहार और बंगाल के चुनावों में मुद्दा बन गया था। पहली बार वैक्सीनेशन अभियान में वीआईपी कल्चर हावी नहीं होने दिया गया। गांव, शहर, सुदूर देश का एक ही मंत्र रहा कि वैक्सीन भेदभाव नहीं करती तो वैक्सीनेशन में भी भेदभाव नहीं हो सकता। ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर वीआईपी कल्चर न हावी हो। कोई कितने ही बड़े पद पर क्यों न रहा हो कितना ही धनी क्यों न रहा हो उसे वैक्सीन सामान्य नागरिकों की तरह ही मिलेगी। ताली-थाली बजाने से देश की एकजुटता दिखी। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में हर एक बिंदु को उठाया कि हम किस प्रकार से 100 करोड़ की डोज लेने वाले बन गये हैं। दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था, सिर्फ 279 दिनों में हमने यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।
शुरूआत में जब टीकाकरण की रफ्तार धीमी थी तो विपक्षी नेता बिना किसी देरी के सरकार पर सवाल उठा रहे थे। जब केन्द्र सरकार ने वैक्सीन वितरण की कमान अपने हाथ में ले ली और तस्वीर बदलने लग गयी तो ये नेता चुप हो गये। समय प्रबल है और कीर्तिमान भी बढ़ा है। विश्व की महाशक्तियां भी वैक्सीनेशन की रेस में यह आंकड़ा नही छू सकी। आज हम सभी लोगों के लिए गर्व करने का समय है और उत्सव मनाने का समय है, लेकिन कोविड के नियमों को हम सभी लोगों को अभी भी मानना ही पड़ेगा क्योंकि अभी युद्ध जारी है।
कोविड काल में राजनीति करने वाले सभी दलों को उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत ही सही जवाब भी दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस के समय महामारी आयी होती तो भाई-बहन इटली भाग जाते। अगर सपा सरकार में यह महामारी आयी होती तो चाचा -भतीजे में होड़ लग जाती कि कौन ज्यादा हड़प ले। वहीं, बहनजी के कार्यकाल में महामारी आयी होती तो भगवान ही मालिक होता। लेकिन सपा बसपा दलो के नेता टीवी चैनलों पर अभी आंसू बहा रहे हैं कि आखिर भारत अपने स्वदेशी वैक्सीनेशन अभियान में सफल कैसे हो गया। आज भारत अपने सामर्थ्य और सफलता की नयी कहानी कह रहा है और पूरे विश्व को संदेश दे रहा है कि अब भारत आत्मनिर्भरता की ओर तीव्र गति से बढ़ रहा है और भारत गति शक्ति योजना के बल पर विकास के पथ पर अग्रसर है।
— मृत्युंजय दीक्षित