चाँद
अय चाँद जरा तुम नभ पे आ जाओ
जग में अब अंधेरा बहुत छाया है
चाँदनी की इन्तजार में यह जग अब
घंटो से बैचेन हो बहुत घबराया है
अय चाँद तुम जरा नभ पे आ जाओ
तेरी चाँदनी सबको लुभाया है
तेरी खूबसूरत बदन के सामने
हर कोई ना टिक पाया है
तेरी धरती पे लगी काली धब्बा
जैसे नैनो में सुरमई काजल सजाया है
तुम्हें देखने चकोर बना आशिक
टकटकी लगाये घंटो तक नजर लगाया है
— उदय किशोर साह