गीत/नवगीत

मेरा चाँद

मेरा चाँद कहीं खोया है, कोई ढूँढ कर ला दो ना
संझा से ही तकती अंबर, उसको ये बतला दो ना।

वो तारों का राजकुँवर है, वो माथे की बिंदिया है
भोर सजे सिंदूर माँग का, रात चले तो निंदिया है
सोता है ना बिना सुने वो, लोरी कोई गा दो ना
मेरा चाँद कहीं खोया है, कोई ढूँढ़ कर ला दो ना।1।

चाँद मेरा मैं चाँदनी उसकी, उस बिन मुझमें नूर नहीं
हुआ छिपा वो यहीं-कहीं पर, रह सकता है दूर नहीं
आ जायेगा कोई पुकारो, हाल मेरा समझा दो ना
मेरा चाँद कहीं खोया है, कोई ढूँढ़ कर ला दो ना।2।

आज अर्घ्य आँसू का देकर, मैं पलकों की आड़ करूँ
आहों से मैं करूँ आरती, यादों से सिंगार करूँ
उलझ गयी है डोर साँस की, कोई तो सुलझा दो ना
मेरा चाँद कहीं खोया है, कोई ढूँढ कर ला दो ना।3।

— शरद सुनेरी