दो क्षणिकाएं
1. समय
समय को आज तक कौन बांध पाया है?
जिसने एकबारगी समय को समझ लिया,
समय उसका साया है, सरमाया है.
2. एकला चलो रे
रविंद्रनाथ टैगोर ने लिखा था एक गीत
”एकला चलो रे” यह गीत
हुआ था सबका मन-मीत
”एकला चलो रे” का मतलब यह नहीं था
कि सबके साथ मत चलो
पर हो गया इसके विपरीत.
”एकला चलो रे” से
रविंद्रनाथ टैगोर का तात्पर्य था
गलत दिशा में बढ़ रही भीड़ का हिस्सा मत बनो
उस से बेहतर है अकेले चलो
पर हमने सबके साथ चलना छोड़ दिया
अकेले चलना सीख लिया है
रिश्तों के फेस को छोड़कर
फेसबुक से नाता जोड़ लिया है.