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विचित्र होते हैं अधिकारी !

ऐसे कई सारे ‘पदाधिकारी’ (Officers) हैं, जो या तो सचमुच में  जानकारीविहीन हैं या अभी भी सामंतों की तर्ज पर व राजे-रजवाड़े की तरह दूसरे की बात सुनना पसंद नहीं करते हैं!

ऐसे चिरंजीवी ऑफिसर्स माननीय हाई कोर्ट की नोटिस के बारे में भी जानते तक नहीं कि किसप्रकार के नोटिस का क्या अर्थ होता है! किसी चिट्ठी का तामिला क्या होता है, उनसे भी वे अनभिज्ञ होते हैं !

ऐसे पदाधिकारी या तो ‘आलसी’ की तरह या ‘दबंग’ की तरह नोटिस को इसतरह लेना चाहते हैं, जैसे- उनके ससुर की दूसरी बार शादी हो रही है और इस शादी का ‘आमंत्रण-पत्र’ ससुराल के ही ‘नाई’ या ‘नाइन’ के मार्फ़त ही प्राप्त हो!

ऐसे अधिकारी पर ‘अवमानना’ तो निश्चित ही लगे ! जो तालाब को गंदी करनेवाली ‘पोठी’ मछली है !

कोई ‘विधायक’ बिना इस्तीफ़े दिए ‘सांसद’ का चुनाव लड़ सकते हैं, तो प्राइमरी, मिडिल, हाईस्कूल के नियोजित शिक्षक ऐसा क्यों नहीं कर सकते?

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.