बच्चे सबको प्यारे लगते।
बच्चे सबको प्यारे लगते।
माँ को राज दुलारे लगते।
इन में ही भगवान मिलेगा।
इक सच्चा इन्सान मिलेगा।
घर में चाँद सितारे लगते।
बच्चे सब को—-।
इतने भी नादान नहीं हैं।
हँसते हैं शैतान नहीं हैं।
देखन को बेचारे लगते।
बच्चे सब—-।
आपस में सब खेल रहे हैं।
रेल के डिब्बे मेल रहे हैं।
रंग-ब-रंग गुब्बारे लगते।
बच्चे सब—।
इन से ही संसार बना है।
जग के भीतर प्यार बना है।
मन्दिर-गुरूद्वारे लगते।
बच्चे सब—।
’बालम‘ विभिन्न पोशाकों में।
बँधे हुए हैं धागों में
वाह, रंगीन फुव्वारे लगते।
बच्चे सबको प्यारे लगते।
— बलविन्दर ’बालम