बाबा दीप सिंह
सर्व उच्च सत्कार बाबा दीप सिंह।
मानवता का प्यार बाबा दीप सिंह।
दुश्मनों के वास्ते ललकार था।
तेज़ तीख़ी चमकती तलवार था।
तोड़ता हँकार बाबा दीप सिंह।
सर्व उच्च—–।
योद्धायों के भीतर योद्धा वीर था।
खीची हुई कमान का वह तीर था।
सच्च का इकरार बाबा दीप सिंह।
सर्व उच्च——-।
सिर हथेली धरना बताया कौम को।
मर के ना करना बताया कौम को।
धैर्य की दीवार बाबा दीप सिंह।
सर्व उच्च——–।
पीढ़ियों दर पीढ़ियों की ज्योत वह।
पंथ अन्दर तक अद्भूत सोच वह।
सरदारों का सरदार बाबा दीप सिंह।
सर्व उच्च——-।
बीच हक़ीक़त रू-वरू वह आ गया।
’बालम‘ सबको सच-पथ दिखला गया,
छे गया दीदार बाबा दीप सिंह।
सर्व उच्च——।
— बलविन्दर ’बालम