कविता

प्यार

प्यार त्योहार नहीं जिसे एक दिन पूजा जाए
प्यार तो इबादत है जिसे हर दिन जिया जाए
प्यार व्यापार नहीं जिसे किसी से तोला जाए
प्यार का वजन इतना कि उसे नापा ना जाये
प्यार है,खेल नहीं जो मनमर्जी से खेला जाए
प्यार जिम्मेदारी है,उसे दिल से निभाया जाए
प्यार अमानत नहीं,जो तिजोरी में रखा जाए
प्यार तो एक दरिया है जो बस बहता ही जाए
प्यार खुशबू नहीं जो कुछ पल ही महका जाए
प्यार है बहती पवन,ये छुए तो सुकून आ जाए
प्यार है ऐसा जो अल्फाजों में बयान न हो पाए
प्यार तो बिन कहे आंखों से दिल में उतर जाए।।
— आशीष शर्मा “अमृत”

आशीष शर्मा 'अमृत'

जयपुर, राजस्थान