मां
चूल्हे में सीली लकड़ी जलाते
फुकनी की हवा से आग भड़काते
धुएं से अपनी आंखें जलाते
फेफड़ों में घुसे धुएं से खांसते रोटी पकाते
क्या देखा तुमने कोई उफ्फ करते
क्या देखा तुमने कोई शिकायत करते
बिना शिकायत वो खुद जलती जा रही है
आज जब वो हो गई निर्बल
आई है सहारे को तेरे दर पर
कितनी शिकायत करते तुम उससे
कितनी शिकायत करते तुम उससे
उफ्फ कितनी शिकायत करते तुम उससे