ग़ज़ल
बहुत हुआ अपमान, तुम्हारी ऐसी-तैसी
सुन लुच्चे सलमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
तू हमको हिंदुत्व सिखाएगा किन्नर,
पाकिस्तानी श्वान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
कायर,कपटी,कुटिल,कमीनों के काका,
कांग्रेस की शान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
हक्के-बक्के,छक्के,हिंदूरिपु, द्रोही,
पंजे के अवसान,तुम्हारी ऐसी-तैसी।
हे खुर्शीद,सनातन क्या, तू क्या जाने,
पप्पू के अरमान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
जहां मिले पिटरोल भरो पिछवाड़े में,
इमरानी हैवान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
हैं जिन्ना का वंशज, तैमूरी पिल्ला,
करे सदा अपमान, तुम्हारी ऐसी-तैसी।
उठो हिंदुओं,अब तो सबक सिखाओ रे,
बोले हिंदुस्तान,तुम्हारी ऐसी-तैसी।
चुप हैं चमचे,चाटुकार, टुकड़े-टुकड़े,
मम्मी की संतान,तुम्हारी ऐसी-तैसी।
बोको हरम और ‘इसइस’ वाली तुलना
हिंदू का अपमान, तुम्हारी ऐसी-तैसी।
जिस दिन जागा हिंदू,शरण नहीं देगा,
तुमको पाकिस्तान, तुम्हारी ऐसी-तैसी।
यही अयोध्या कील आखिरी पंजे की,
टुच्चे,खल,शैतान तुम्हारी ऐसी-तैसी।
— सुरेश मिश्र