हॉकर
दिन भर बजती हैं
दरवाजे पर घंटियां
खुलता है दरवाजा हर बार
इस उम्मीद से
कोई आया होगा मिलने हमसें
देखते हैं
दरवाजे पर खड़ा है
हॉकर
दिए गए ऑर्डरों को
हाथ में लेकर
लेकर सामान
हम फिर आकर बैठ जाते हैं
इसी उम्मीद में
जरूर कोई आएगा मिलने हमसें
अगली घंटी के बजने पर
पर नाउम्मीद हो जाते हैं
फिर खड़े किसी हॉकर को देख कर