ठोकर
ठोकर जब पाँव में लगता है
इक नई सीख दे वो जाता है
पैरों में दर्द गर देता है पर
चलने की तमीज सिखलाता है
राह में पड़ा वो अच्छा है
राही उनके सामने बच्चा है
मूक बन मार्ग दिखलाता है
चलने की तमीज सिखलाता दै
ठोकर मार्ग में है तो अच्छा है
सत्य मार्ग का साथी सच्चा है
प्रगति का अकल दे जाता है
चलने की तमीज सिखलाता है
— उदय किशोर साह