गीत/नवगीत

फूलों का शहर

वीरान हुआ ख्वाबों का चमन,मायूस ज़िंदगी का सफर।
उदासियों  से दूर ले चल मुझे  हो जहाँ फूलों  का शहर।
नयन मूंद बैठे हैं मुझ से, कल  तक थे  जो  मेरे  अपने।
साथ  छोड़ गये जो हम से, याद आ कर  रुलाते सपने।
प्यार  आंधियों  का सुनामी, ढाह के  गया हम पे  कहर।
उदासियों  से दूर ले चल मुझे  हो जहाँ फूलों  का शहर।
फूलों का शहर हसीन है, जहाँ प्यार के दो दिल मिलते।
महकती खुशबू के दामन में,मुहब्बत के फूल हैं खिलते।
दिल लुटा देते है अपनों पे, जिंदादिल होते हैं हमसफर।
उदासियों  से दूर ले चल मुझे  हो जहाँ फूलों  का शहर।
बदन होता है जहाँ शबाब, निखरा सा शबनम की तरह।
नयनों से प्रेम मधु बन के,  महक जाता सरगम की तरह।
भौंरों  की  गुंजन  हो  मधुर, फूलों से  घिरा मेरा  हो घर।
उदासियों  से दूर ले चल मुझे  हो जहाँ फूलों  का शहर।
शिकबा नहीं कोई शिकायत, हैं करते भरोसा खुद  पर।
खुश मजाज  रहते दिल से, उजला  है जिन का  अंबर।
ऎसे  जहां में ले  चल  हो न  इंसान  वहाँ  कोई काफिर।
उदासियों से दूर ले चल मुझे  हो जहाँ  फूलों  का शहर।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995