कविता

कविता – दिव्यांग नही सर्वांग कहो 

मुझकों दिव्यांग मत कहो
भगवान हमारे साथ कहो ।
हौसला हैं, जज्बा  मुझमें
खुद पे भरोसा सर्वांग कहो ॥
है नि:शक्त शरीर  तो क्या
संबल-शक्तियां साथ कहो ।
कुदृष्टि  से मत देखो  मुझे
सहनशील हूँ, सर्वांग कहो ॥
निर्बल हूँ , में  लाचार  नही
तुम आत्मशक्ति साथ कहो ।
पैर नहीं , पर  दुनिया नाचे
स्वाभिमानी हूँ, सर्वांग कहो ॥
 हाथ नही करे में चित्रकारी
 जोश – वरदान  साथ कहो ।
 क्रिया शीलता  रग – रग में
 दिल  जीते , सर्वांग कहो ॥
 प्रभु का स्नेह, साथ कहो
 मान – सम्मान साथ कहो ।
 अधिकार से वंचित न कर
 समाज का अंग हैं,सर्वांग कहो ॥
 कल्पना शक्ति से नभ छू लूं
 अपने  का संग  साथ  कहो ।
 मुश्किल  नही  चलू भीड़ में
 आगे  सबके , सर्वांग  कहो ॥
— गोपाल कौशल “भोजवाल”

गोपाल कौशल "भोजवाल"

नागदा जिला धार मध्यप्रदेश 99814-67300