काल का पहिया
काल का पहिया सुन मेरे भैय्या
घूमे अपनी चाल रे
दिन रात
बिना थके बिना रुके
अपनी गति से चला चले
कोई न जीत सका इससे
बड़े बड़े साम्राज्य दफन गए
बड़ी बड़ी तहजीबे
कितनी रिवायतें विदा हो गई
इसकी अपनी चाल में
कितने वंश इतिहास हो गए
कोई न उनका पूछन हारा रे
एक वक्त था
जब चारों तरफ था उनका जय जयकारा रे
काल का पहिया सुन मेरे भैय्या
घूमे पानी चाल रे