कविता

प्रीत ही हूँ गुनगुनाती

हो रही प्रिय मिलन आतुर ,
लिख रही हूँ प्रणय पाती  ।
प्रीत – पथ अनुगामिनी मैं ,
प्रीत ही हूँ गुनगुनाती ।।
स्वर मुखर होने लगे हैं,
साधना देती निमंत्रण ।
सुधि -सुमन महके हुए हैं,
कर गयी पीड़ा पलायन ।।
गीत लिखती भावनाएं
धड़कनें संग स्वर मिलाती ।
प्रीत -पथ अनुगामिनी मैं,
प्रीत ही हूँ गुनगुनाती ।।
प्यास की पावन ऋचाएं
स्वाति के कुछ कण पियेंगी ।
तृप्तिक्षण ,अनुभूतियाँ फिर,
प्राण में भर कर जियेंगी ।।
आस  ही दीपक  बनी ,
अन्तर तमस को जगमगाती ।
प्रीत -पथ अनुगामिनी मैं
प्रीत ही हूँ गुनगुनाती ।।
उदित उम्मीदों का सूरज,
छँट गये कुहरे घनेरे ।
स्वर्णिम विहान बुला रहा ,
डालती खुशियाँ हैं डेरे ।।
मीत इन मधुरिम  क्षणों में ,
 सृष्टि ज्यों, लगती बराती  ।
प्रीत -पथ अनुगामिनी मैं,
प्रीत ही हूँ गुनगुनाती  ।।
— रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)

1- रचनाकार का पूरा नाम- श्रीमती रागिनी स्वर्णकार (शर्मा) 2- पिता का नाम-श्री पूरन चंद सोनी 3- माता का नाम -श्रीमती पार्वती 4- पति / पत्नी का नाम- श्री अरुण शर्मा 5- वर्तमान/स्थायी पता -डायमंड रेजीडेंसी, a सेक्टर सिलिकॉन सिटी राऊ ,इंदौर ,जिला-इंदौर मध्यप्रदेश 6- फोन नं/वाट्स एप नं. - 9754835741 7- जन्म / जन्म स्थान-बेगमगंज ,जिला- रायसेन जन्मतिथि 01,/05/1970 8- शिक्षा /व्यवसाय- बी.एस-सी.,एम .ए.(हिंदी,इंग्लिश) एम.एड. 9- प्रकाशित रचनाओं की संख्या-- 300 रचनाएँ प्रकाशित 10- प्रकाशित रचनाओं का विवरण । (लगभग 300 रचनाएँ समाचार पत्र ,संचार एक्सप्रेस ,निशात टाईम्स ,रीडर एक्सप्रेस भोपाल, लोकजंग भोपाल,दैनिक भास्कर भोपाल,देशबन्धु भोपाल ,से प्रकाशित हो चुकी हैं ) संकल्प शालेय पत्रिका का 7 वर्ष से सम्पादन