राजनीति

तबलीगी जमात पर प्रतिबंध क्यों नही ?

तबलीगी जमात पर फिर एक बार आफत बन कर खड़ा हो गया है। इस्लामिक देशों के सर्वोपरि सऊदी अरब ने अपने देश में तबलीगी जमात को प्रतिबंधित किया है इतना ही नहीं उन्हें 8 दिन में मस्जिदों से निकल जाने का हुकुम भी सुनाया है। यह एक ऐसा निर्णय हैं जिसे संपूर्ण विश्व को एक संदेश के रूप में लेने की जरूरत है। तब्लीगी जमात सुन्नी मुस्लिमो की एक बहुत बड़ी तंजीम है जो 1926 से अस्तित्व में आया, देश विदेशों में इस्लाम के प्रचार के लिए आना जाना करते है। इस समूह के लाखों लोग कई महीनों तक घर से दूर रहकर मजहबी प्रचार के लिए अन्य स्थानों पर जाते है।

जब अमेरिका अपने यहाँ आने वाले मुस्लिम कट्टरवादियों की चेकिंग करता है तो यह विषय संवेदनशील नही माना जाता। अमेरिका में ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद सारे सुरक्षा इंतजाम बहुत कठोर कर दिए। किसी व्यक्ति पर संदेह होने पर उसे कई सुरक्षा जांच अधिकारियों से पूछताछ के बाद ही छोड़ा जाता है। भारत में तो इस तरह की विशेष जांच की हम कल्पना भी नही कर सकते। क्योंकि इससे धर्मनिरपेक्षता की आड़ लेकर राजनीति करने वाले दलों को मुद्दा मिल जाता है। देश के नागरिकों की सुरक्षा या देश की संपत्ति की सुरक्षा महत्वपूर्ण न होकर वोटबैंक की राजनीति आरंभ हो जाती है। परंतु जब सऊदी व मलेशिया जैसे देश अपने यहां कोई सकारात्मक निर्णय देते है तो भारत के लोगो को इस विचार को समझना अवश्य चाहिए। कौन व्यक्ति कहाँ जाता है ? किस जगह में कितने दिन रुकता है ? उसके जाने का उद्देश्य क्या है ? साथ ही ऐसी कई बातें जो जांच एजेंसी को पता होना चाहिए।

अब सऊदी अरब ने इन तंजीमो को मस्जिदों से बाहर करने का हुक्म दिया है, सऊदी सरकार ने स्पष्ट रूप से तब्लीगी जमात को आतंक का द्वार बताया है और अपने देशवासियों को इनसे सावधान रहने को कहा है । इससे साफ पता चलता है कि इस्लामिक कट्टरवाद को बढाने वाली इन तंजीमो से मुस्लिम देश भी अब परेशान हो चुके है। पूर्व में भी तबलीगी जमात पर जिहाद के लिए मुस्लिम युवाओं को प्रेरित करने के आरोप लगते रहे, अनेक तबलीगी नेता आपत्तिजनक भाषणों के कारण चर्चा में रहे। विश्व में जब कोरोना वायरस संक्रमण अपने चरम पर था, तब दिल्ली के निजामुद्दीन से संक्रमण को पूरे भारत में फैलाने के आरोप तबलीगी जमात पर लगे। इस मरकज में मौलाना साद पर कार्यवाही हुई कई दिनों फरारी के बाद पुलिस ने इसे गिरफ्तार किया था। क्योंकि उस समय प्रतिबंध के बावजूद तबलीगीओं का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम मरकज दिल्ली के निजामुद्दीन में संपन्न हुआ, जिससे पूरे देश में लोग आए और वापस गए आज जबकि सऊदी अरब ने अपनी मस्जिदों से तबलीगी जमात को प्रतिबंधित किया है तो यह विचार समस्त बुद्धिजीवी वर्ग में चिंतन का विषय बन गया है क्योंकि मुस्लिम युवाओं को अब्दुल कलाम की तरह बनने की प्रेरणा देने वाला कोई संगठन नहीं है जबकि उन्हें कट्टर इस्लामिक बनाने वाले कई तंजीमें और मदरसे देश में कार्य कर रहे हैं।

राष्ट्र वही अडिग रहता है जिसके प्रहरी सदैव जाग्रत रहते है, हम इन्ही जनसेवकों को जाग्रत करने का प्रयास कर रहे है ताकि देश के युवा आतंक जिहाद और कटरवाद कि और ना जाकर, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, अब्दुल हमीद के पद चिन्हों पर चलने का प्रयास करें।

— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश