कविता

मैं उड़ना चाहता हूँ

मन ने कभी मेरा कहना न माना
सदा गैर ही मुझे अपना जाना
मैं उड़ना चाहता हूँ स्वच्छंद आकाश में
अच्छा लगता है उसे कीचड़ में बिठाना
मैं चाहूँ सुबास केसर की
दिया मलिनता का बाना
नकारत्मता की ओर खींचता
मेरा अस्तित्व डगमगा देने के लिए
मेरा दुसरा मन बांध रखता मुझे
सकारात्मकता की ओर
तभी तो केसर की खुशबू
स्वच्छंद उड़ान
ले जाती है दूर तक
कर पाता हूँ सागर पार
मुट्ठी में बांध लेता हूँ आकाश
सफलता की तितलियां
मंडराती है मंजिल तक
बेफिक्र हूँ निर्भय हूँ
मन ने कभी मेरा कहना न माना
सदा गैर ही मुझे अपना जाना
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995