अंतिम यात्रा
आगमन में इंसान के
बजते हुए ढोल तांसे
विदा के वक्त फिर यह रोना कैसा
हंसी खुशी विदा करों न यारों
जो सफर गुजरे खुशनुमा
कहकहे लगाओ
खुश हो
फूल बरसाओ
कि यार निकला है
अपने अगले सफर पे
रो रो क्यों करते अपशकुन हो
यात्रा निर्विघ्न हो
एक नारियल तो फोड़ों
हरी झंडी तो दिखाओ
❤️