कविता के लिए
वे कवि अमीर होते हैं
जिनके कटोरों में अशर्फियाँ नहीं
रोटियाँ होती हैं।
वे कवि महान होते हैं
जिनकी पीठों पर पुरस्कारों का नहीं
संवेदनाओं का दायित्व होता है।
वे कवि कभी नहीं मरते
जो नहीं दबाते कविता के ठेकेदारों के पांव
उनकी कविता में “कविता” होती है।
कवि होना
केंचुआ होना नहीं है!
–राजेश्वर वशिष्ठ