पुस्तक समीक्षा

पुस्तक चर्चा – सात्विक प्रेम का सरस चित्रांकन

कवि कथाकार विष्णु सक्सेना के दूसरे खंडकाव्य “ सुनो राधिके सुनो “ का शीर्षक जितनी मधुरता लिए है , वहीं उसका कथ्य भी उतनी ही सजीवता व गंभीरता से श्री राधा-कृष्ण के सात्विक प्रेम रस की अनुभूति करवाता है ।गौलोक से लेकर वृन्दावन तक सर्वत्र प्रसृत प्रेम को बहुत ही ख़ूबसूरती से उन्होंने अपने इस खंडकाव्य में चित्रित किया है । प्रेम की सार्थक परिभाषा देते हुए वह “ प्रेम भाव “ सर्ग में कहते हैं:
प्रेम- प्रेम है/ प्रेम मोह नहीं/ प्रेम राग है/ प्रेम प्यास नहीं/ प्रेम तो है बस/ निजता का मौन समर्पण ।”(पृष्ठ २२)
सम्पूर्ण खंडकाव्य का केंद्र राधा जी हैं, जो श्रीकृष्ण की परम शक्ति की पूरक हैं । कवि कहता है कि प्रेम के सात्विक रूप समझाने को ही द्वैत शक्ति ने अद्वैत रूप लिया था ।राधा व श्याम के मिलन को ही रास कहते हैं । “ईर्ष्या “ सर्ग में श्रीकृष्ण इस सत्य को उजागर करते हुए श्रीराधा से कहते हैं:

” रा से प्रस्फुटित होती है राधा/ स से चमकता है श्याम/ राधा श्याम के मिलन को / उनके एक रूप/ होने की बेला को ही/ कहते हैं रास /——/ इस सृष्टि का सृजन/ सृष्टि में हो रही हर क्रिया/ उसकी प्रतिक्रिया/ सभी कुछ/ हमारी रासलीला ही तो है । “
सात्विक प्रेम की जन मानस को अनुभूति करवाने, प्रेम मोह व ईर्ष्या रहित रहे यह समझाने का श्री राधा-कृष्ण ने प्रयास किया है । राधा जी किस प्रकार प्राणी मात्र में व्याप्त होकर सृजन की निरन्तरता बनाए
रखती हैं , इसे कवि ने माँ भाव ,कुँज लता भाव , मोर भाव व यमुना भाव सर्गों में बहुत ही सहजता से वर्णन किया है । प्रिय मिलन को व्याकुल व प्रिय के साहचर्य में नारी मन के मनोभावों को कवि ने बहुत ही बहुत ही कुशलता से प्रतीक्षा पूर्व, प्रतीक्षा, संदेश व मिलन सर्गों में चित्रित किया है ।
विरह बिना भी प्रेम की अनुभूति अपूर्ण ही रहती है।कवि कहता है :
“ मिलन से जहां/ प्रस्फुटित होते मन में / मोह के बंधन/ वहीं विरह की अग्नि में/ तप कर / मन हो जाते हैं कुंदन ।” (पृष्ठ १०३)
आहट सर्ग में कवि वर्तमान काल की प्रेम की विघटनमयी स्थिति पर कटाक्ष करते हुए चिंता व्यक्त करता है। कवि का यह चिंतन खंडकाव्य को समकालीनता से जोड़ता है । कुल मिलाकर यह खंडकाव्य प्रेम के विभिन्न आयामों का दर्शन कराता हुआ एक पठनीय व संग्रहणीय कृति बन गया है । कवि को बधाई ।□

— समीक्षक – अशोक जैन

समीक्ष्य कृति : सुनो राधिके सुनो (खंड काव्य)
लेखक : विष्णु सक्सेना
मूल्य : २५० रूपये
प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली

अशोक जैन

गुरुग्राम Email- ashok.jain908@gmail.com