प्रतीक्षा
शरद पूर्णिमा की रात आँखें खोजती रहीं चाँद, आकाश और तुम्हारा होना। मेरे पास तुम्हारे हज़ारों चित्र थे और विंड
Read Moreएक स्त्री गरमी और उमस में पसीने से तर-बतर निकलती है किचन से बाहर; खोलती है घर का द्वार स्वागत
Read Moreरामकथा का मूल स्रोत वाल्मीकि रामायण है जिसका लेखन काल अनुमानतः ईसा से एक हज़ार वर्ष पूर्व है। इस ग्रंथ
Read More1. झगड़ना हमारे बीच वैसा ही है जैसे कभी सब्ज़ी में मिर्चें ज़्यादा हो जाना या उबलते हुए दूध का
Read Moreवे कवि अमीर होते हैं जिनके कटोरों में अशर्फियाँ नहीं रोटियाँ होती हैं। वे कवि महान होते हैं जिनकी पीठों
Read Moreइस बर्फ-सी जमी रात में कब्र में जाग रही हैं डेढ़ सौ औरतें दरअसल उन्हें आता ही नहीं था
Read Moreकल रात आसमान से चाँद गायब था। आज सुबह खिड़की से बाहर देखा तो अशोक का वृक्ष गायब था। इतनी
Read Moreआसमान से हर शहर वैसा ही दिखता है जैसे हर शहरी आदमी आमतौर पर लगता है सभ्य नदियाँ दिखती हैं
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